CoinDCX डील के बाद Coinbase की एक और बड़े प्लेटफ़ॉर्म से डील
ग्लोबल लेवल पर विस्तार कर रहा है Coinbase
दुनिया के प्रमुख क्रिप्टो एक्सचेंजों में से एक Coinbase लगातार अपने बिजनेस को ग्लोबल लेवल पर विस्तार दे रहा है। हाल ही में भारत के लीडिंग क्रिप्टो एक्सचेंज CoinDCX में निवेश के बाद अब कंपनी ने एक और बड़ा अधिग्रहण किया है। इस अमेरिकी क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज ने निवेश प्लेटफॉर्म Echo को करीब $375 मिलियन की कैश-एंड-स्टॉक डील में खरीद लिया है।
इस डील का मकसद है, क्रिप्टोकरेंसी कम्युनिटी को फंडरेजिंग और टोकन सेल के लिए एक ट्रांसपेरेंट और एक्सेसिबल प्लेटफॉर्म प्रदान करना। यह सौदा ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिका में Donald Trump प्रशासन क्रिप्टो-फ्रेंडली पॉलिसी को बढ़ावा दे रहा है, जिससे अमेरिकी क्रिप्टो कंपनियों में डील-मेकिंग की रफ्तार तेज़ हुई है।
Source - यह इमेज The Wall Street Journal की X Post से ली गई है।
Coinbase और Echo की डील, क्रिप्टो फंडरेजिंग में नया चेप्टर
इको का प्लेटफॉर्म क्रिप्टोकरेंसी प्रोजेक्ट्स को प्राइवेट और पब्लिक टोकन सेल्स के ज़रिए फंड जुटाने में मदद करता है। अब कॉइनबेस इस क्षमता को अपने प्लेटफॉर्म में इंटीग्रेट करने जा रहा है ताकि नए प्रोजेक्ट्स और निवेशक एक ही जगह पर जुड़ सकें। कॉइनबेस ने अपने ब्लॉग पोस्ट में लिखा“हम एक ऐसा मार्केट बनाना चाहते हैं जो अधिक एक्सेसिबल, एफिशिएंट और ट्रांसपेरेंट हो।”
डील के बाद कॉइनबेस Echo के Sonar प्लेटफॉर्म के ज़रिए टोकन सेल शुरू करेगा। आगे चलकर कंपनी इसका दायरा बढ़ाकर Tokenized Securities और Real-World Assets (RWA) को भी शामिल करने की योजना बना रही है। इको के फाउंडर Jordan Fish (Cobie) ने दो साल पहले इस प्लेटफॉर्म की शुरुआत की थी, जिसने अब तक क्रिप्टो प्रोजेक्ट्स के लिए $200 मिलियन से ज़्यादा की फंडिंग जुटाई है।
Coinbase की आक्रामक एक्सपेंशन स्ट्रेटेजी
कॉइनबेस की रणनीति अब साफ़ है, क्रिप्टोकरेंसी, डेरिवेटिव्स और टोकनाइज्ड एसेट्स के हर सेगमेंट में अपनी उपस्थिति मजबूत करना। इससे पहले कंपनी ने मई 2025 में Deribit के साथ $2.9 बिलियन की डील की थी, जो कि क्रिप्टोकरेंसी ऑप्शंस सेक्टर में कॉइनबेस की सबसे बड़ी एंट्री मानी गई। अब Echo की खरीदारी से कॉइनबेस ने अपने capital formation tools को मजबूत किया है।
इस कदम से कंपनी को स्टार्टअप्स और Web3 प्रोजेक्ट्स को अपने प्लेटफॉर्म से जोड़ने में मदद मिलेगी। दूसरी ओर, अमेरिकी मार्केट में तेजी से बढ़ती प्रतिस्पर्धा और नए रेगुलेटरी रिफ़ॉर्म्स के बीच यह डील कॉइनबेस को एक बड़ा लाभ दे सकती है, खासकर जब Kraken जैसी कंपनियां भी अमेरिकी डेरिवेटिव मार्केट में प्रवेश कर रही हैं।
CoinDCX डील से लेकर Echo तक, अमेरिकी एक्सचेंज की वैश्विक पकड़
इस अमेरिकी क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज का भारत में प्रभाव भी तेजी से बढ़ रहा है। हाल ही में उसने भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज CoinDCX में निवेश किया था, जिससे कंपनी की वैल्यूएशन अब $2.45 बिलियन (लगभग ₹20,000 करोड़) तक पहुंच गई।
CoinDCX में निवेश ने कॉइनबेस को भारत जैसे उभरते मार्केट्स में मजबूत आधार दिया, जबकि इको की खरीद ने उसे यूएस कैपिटल मार्केट्स में नई दिशा दी है। इन दोनों डील्स का संयुक्त प्रभाव कॉइनबेस को न केवल ट्रेडिंग बल्कि टोकन फंडरेजिंग और सिक्योरिटीज टोकनाइजेशन के क्षेत्र में भी अग्रणी बना सकता है।
कॉइनबेस की चाल में दिख रहा है Web3 का भविष्य
क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में अपने 13 सालों के अनुभव से मैं यह कह सकता हूँ कि Coinbase का यह अधिग्रहण केवल एक बिजनेस डील नहीं, बल्कि Web3 फाइनेंसिंग के भविष्य की झलक है। इको जैसे प्लेटफॉर्म से कॉइनबेस न सिर्फ क्रिप्टो प्रोजेक्ट्स को पूंजी जुटाने का आसान तरीका देगा, बल्कि निवेशकों को भी अधिक सिक्योर और ट्रांसपेरेंट ऑप्शन प्रदान करेगा।
यह कदम Coinbase को ट्रेडिशनल फाइनेंस सिस्टम से आगे ले जाकर उसे क्रिप्टो कैपिटल मार्केट्स के हब के रूप में स्थापित कर सकता है। यदि कंपनी अपने टोकनाइज्ड एसेट्स के विज़न को सही ढंग से लागू करती है, तो यह Web3 निवेशों के लिए एक नया युग साबित होगा।
कन्क्लूजन
Coinbase का Echo और CoinDCX दोनों में निवेश यह दिखाता है कि कंपनी अब केवल एक एक्सचेंज नहीं, बल्कि एक ग्लोबल क्रिप्टो फाइनेंशियल नेटवर्क बन रही है। $375 मिलियन की यह डील अमेरिका में फंडरेजिंग इकोसिस्टम को नया आकार देगी और क्रिप्टो प्रोजेक्ट्स को अधिक पारदर्शी माहौल में पूंजी जुटाने का अवसर देगी। Web3 की दुनिया में अब एक नया फेज शुरू हो चुका है, जहाँ Coinbase जैसे खिलाड़ी केवल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि डिजिटल इकॉनमी के इंजन बनते जा रहे हैं।