
Global Crypto Reporting Rules लागू करेगा भारत, क्या होगा बदलाव
भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी को लेकर गंभीर होती जा रही है, हाल ही में एक बड़ा फैसला लेते हुए भारत सरकार ने OECD के Crypto-Asset Reporting Framework को अपनाने का फैसला किया है। यह फ्रेमवर्क 1 अप्रैल 2027 से लागू होगा, जिसके बाद भारतीय नागरिकों की सभी ऑफ शोर क्रिप्टो होल्डिंग के डाटा तक सरकार की पहुँच हो जाएगी।
Global Crypto Reporting Rules क्या है?
यह रूल्स OECD के Crypto-Asset Reporting Framework के तहत लागू होंगे, जिसके अनुसार इस फ्रेमवर्क को अपनाने वाले सारे देश अपने क्रिप्टो सर्विस प्रोवाइडर्स से प्राप्त डाटा आपस में साझा करते हैं। इस निर्णय को लागू करने के लिए भारत 2026 में Multilateral Competent Authority Agreement (MCAA) पर भी हस्ताक्षर करेगा। हालांकि भारत विदेशी बैंकों में जमा धन को लेकर MCAA पर पहले ही हस्ताक्षर कर चुका है लेकिन इसका क्रिप्टो एसेट तक एक्सपेंशन करने के लिए एक अलग अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करना जरुरी है।

Source: यह इमेज OECD की ऑफिशियल वेबसाइट से ली गयी है।
इसके बाद इस एग्रीमेंट में शामिल किसी भी देश के क्रिप्टो एक्सचेंज पर भारतीय नागरिक द्वारा किए गए ट्रांज़ैक्शन और होल्डिंग की जानकारी भारत सरकार को मिलने लग जायेगी।
भारत Global Crypto Reporting Rules क्यों लागू कर रहा है?
लम्बे समय तक क्रिप्टोकरेंसी को लेकर उदासीन रही भारत सरकार अब इसे लेकर गंभीर होती दिखाई दे रही है। इसके पीछे हाल ही में हुए कुछ घटनाक्रम जिम्मेदार है,
- कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टोकरेंसी को रिफाइंड हवाला बताते हुए भारत सरकार को इसे लेकर कदम उठाने के लिए कहा था,
- इसके बाद हाल ही में हुए पहलगाम हमले के बाद भी फंडिंग के तार क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ने की बात सामने आई थी,
- हाल ही में आई Chainalysis की रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत लगातार तीसरे साल क्रिप्टो एडॉप्शन के मामले में पहले नंबर पर रहा था,
इन सभी पॉजिटिव और नेगेटिव फैक्टर्स के कारण भारत सरकार अब क्रिप्टोकरेंसी पर गंभीर नज़र आ रही है।
भारतीय क्रिप्टो इन्वेस्टर्स पर क्या होगा असर?
इस Crypto Reporting Framework और नियमों के लागू होने का भारतीय इन्वेस्टर्स पर कोई नकारात्मक असर नहीं होगा। लेकिन ऐसे इन्वेस्टर्स जो टैक्स से बचने, काला धन जमा करने या किसी इल्लीगल एक्टिविटी के लिए फॉरेन क्रिप्टो एक्सचेंज को सेफ हेवन मान रहे थे, उन पर लगाम लगाना संभव हो पायेगा। भले ही यह फ्रेमवर्क 2027 से लागू हो रहा हो लेकिन लागू होने के बाद इसके पहले के डाटा तक भी भारत सरकार का एक्सेस हो जाएगा।
ऐसे में जिन भी क्रिप्टो इन्वेस्टर्स ने ऑफ शोर क्रिप्टो एक्सचेंज पर अपनी होल्डिंग रखी हुई है और उसे डिसक्लोज नहीं किया है, उन्हें जल्द ही इसे लेकर कदम उठाने चाहिए क्योंकि क्रिप्टो ट्रांज़ैक्शन और होल्डिंग को छुपाने पर 200% तक का फाइन और सजा का भी प्रावधान है।
क्या भारत क्रिप्टोकरेंसी लीगल करने की तैयारी कर रहा है?
भारत में पिछले कुछ समय से क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल और इन्वेस्टमेंट दोनों बढ़े हैं, हाल ही में आई रिपोर्ट के मुताबिक़ पिछले 2 फाइनेंशियल ईयर में भारत सरकार ने कुल 70,000 करोड़ रुपये क्रिप्टो टैक्स के रूप में वसूले हैं। यह भारत में लगातार बढ़ते हुए क्रिप्टो एडॉप्शन को दिखाता है, लेकिन क्रिप्टो एक्सचेंज MECX के द्वारा हाल ही में जारी की गयी रिपोर्ट के अनुसार भारत क्रिप्टो ठगी का हॉट स्पॉट भी बन चुका है। ऐसे में जरुरी है कि भारत सरकार अपने नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए जल्द ही इसे लेकर एक लीगल फ्रेमवर्क और SEBI की तरह के डेडिकेटेड इंस्टिट्यूट बनाये।
भारत सरकार द्वारा OECD के Global Crypto Reporting Rules को अपनाया जाना इसी दिशा में एक कदम माना जा सकता है।
कन्क्लूज़न
Global Crypto Reporting Rules और OECD के Crypto Reporting Framework को अपनाना भारत में क्रिप्टो टैक्स की चोरी और इसके इल्लीगल उपयोग को रोकने के लिहाज से महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि भारत सरकार को यह भी समझने की आवश्यकता है कि 30% टैक्स और 1% TDS जैसी ऊँची टैक्स रेट भी इन्वेस्टर्स को ऑफ शोर क्रिप्टो होल्डिंग रखने का कारण है। ऐसे में नियंत्रण के उपाय अपनाने के साथ-साथ रेगुलेशन के उपाय भी अपनाना बहुत जरुरी है, भारत में जिस तेजी से क्रिप्टो एडॉप्शन बढ़ रहा है हमें जल्द ही भारत में क्रिप्टो को लेकर क़ानून देखने को मिल सकता है।