Satoshi Nakamoto कौन है? जानिए बिटकॉइन के पीछे का रहस्य?
Satoshi Nakamoto कौन है, इसका सीधा सा जवाब तो यही है की जिसने Bitcoin बनाया, लेकिन आजकल यह सवाल केवल इसलिए नहीं पूछा जाता की लोग उस इंसान की पहचान जानना चाहते हैं जिसने विश्व की पहले Blockchain और पहली क्रिप्टोकरेंसी बनाई, बल्कि इसलिए पूछा जाता है क्योंकि आज Bitcoin विश्व भर छा चुका है। क्रिप्टोकरेंसी दुनिया भर में पेमेंट में इस्तेमाल होने वाली सबसे बड़ी डिजिटल करेंसी बन चुकी है। Blockchain Technology का उपयोग करके न जाने कितने ऐसे इनोवेशन सामने आ चुके हैं जिन्होनें इन्टरनेट को Web2 से Web3 की और ले जाने का रास्ता खोला है।
बात सीधी सी है कि जानने को तो Satoshi Nakamoto का किया हुआ सब जानते हैं और उसके द्वारा शुरू किये गए रेवोलुशन में शामिल भी हो रहे हैं, लेकिन आज जब काम से ज्यादा क्रेडिट लेने का रिवाज है, भला ऐसे कौन महाशय हैं जिन्होनें फाइनेंस से लेकर गेमिंग तक की दुनिया बदल दी, पर आज तक किसी को अपना चेहरा तो छोड़ो सही नाम तक नहीं बताया।
आज हम इस ब्लॉग में Satoshi Nakamoto की पहचान से जुड़ी कुछ सबसे चौंकाने वाली लेकिन प्रोमिसिंग थ्योरीस को जानेंगे, जो सच के आसपास तक ले जाकर हमें छोड़ती है, लेकिन खैर जाने दीजिए, किन्तु परन्तु तो अब Satoshi से जुड़ा हुआ प्रीफिक्स बन चुका है, आइये हम आगे बढ़ते हैं।
Satoshi Nakamoto के नाम से जुड़ी पहचान की थ्योरी
इस थ्योरी को देने वाला जरुर शब्दों का जादूगर रहा होगा लेकिन उसने जो Satoshi के नाम में पकड़ा वह कमाल ही है, इस थ्योरी के अनुसार नाम के पहले 2 अक्षर SA-Samsung, अगले चार toshi- TOSHIBA, उसके बाद सरनेम के पहले चार अक्षर Naka- Nokia और आखिरी चार अक्षर moto- अब तो आप खुद भी गेस कर सकते हैं, Motorola से बने हैं। इस थ्योरी के हिसाब से इन चार कंपनियों ने मिलकर Bitcoin को दुनिया भर में एक नए लेकिन ज्यादा रिलाएबल फाइनेंशियल पेमेंट सिस्टम के तौर पर बनाया।
भले ही इसे कांस्पीरेसी थ्योरी के रूप में मान्यता हो लेकिन पर्सनली मुझे यह सबसे ज्यादा प्रोमिसिंग थ्योरी लगती है, हालांकि नाम से जुड़ी यह अकेली थ्योरी नहीं है, एक और भी है, अमेरिका के California में एक जापानी अमेरिकी व्यक्ति रहते थे, जिनका नाम है Dorian Nakamoto, एक अमेरिकी पत्रकार ने इनके नाम और सॉफ्टवेयर से जुड़े बेकग्राउंड के कारण इन्हें Satoshi Nakamoto बना दिया था। हालांकि समय रहते यह सामने आये और सभी साक्ष्य देते हुए मुद्दा ख़तम कर दिया, की भाई में तो नहीं हूँ कोई और Nakamoto ढूंढो, तब से सभी Nakamoto नाम बदलकर ही रह रहे हैं।
चलिए यह तो वो बड़ी थ्योरी हो गयी जो Satoshi के नाम से उनका काम उजागर करना चाह रही है, कुछ थ्योरी ऐसी भी है जो उनके काम को लेकर पहचान उजागर करने का प्रयास करती है। आइये उन्हें भी जानते हैं,
Satoshi Nakamoto के काम से जुड़ी पहचान खोजने की कोशिश
Bitcoin और Blockchain Technology सामने आने से पहले 31 October, 2008 में Bitcoin Whitepaper सामने आया था, जिसका नाम था " Bitcoin: A Peer to Peer Electronic Cash System"। इसी के आधार पर बाद में Satoshi और बहुत से डेवलपर जो Bitcoin कम्युनिटी से जुड़े थे, ने मिलकर Bitcoin तैयार किया, इन्ही में से एक थे Hal Finney। यह Bitcoin से जुड़े सबसे शुरूआती डेवलपर में से एक थे, यही वो व्यक्ति थे जिन्हें पहला Bitcoin मिला, डेवलपर के साथ साथ यह क्रिप्टोग्राफर भी थे, और Cypherpunk Movement से भी जुड़े थे, इसके अलावा इन्होने Bitcoin के टेस्ट रन की सभी एक्टिविटी उस समय के ट्विटर और आज के X पर शेयर की।
अब कोई बंदा इतनी सिमिलेरिटी रखता हो तो यह तो बिलकुल सही बात है की इन्हें Satoshi माना ही जाए। लेकिन इनका कहना है भाई, में तो Satoshi नहीं हूँ चाहे जो करना हो कर लो, हालांकि इनकी राइटिंग और कोडिंग स्टाइल का एनालिसिस करने के बाद यही कहा गया की यह Satoshi से अलग हैं, अब हम कुछ कर भी नहीं सकते क्यूंकि Hal Finney का देहांत 2014 में हो गया और उनके साथ उनकी Private Key भी चली गयी।
हालांकि ऐसा नहीं है कि यह अकेले हैं जिन्हें काम के कारण Satoshi से जोड़ने की कोशिश की गयी हो, Nick Szabo जिन्होनें Bitcoin से पहले इसी टेक्नोलॉजी पर काम करने वाले Bit Gold को बनाया था। इनकी राइटिंग और कोडिंग स्टाइल का एनालिसिस पर पाया गया कि इनकी स्टाइल Satoshi से बहुत ज्यादा मिलती है। इस कारण से Nick Szabo को Satoshi Nakamoto से जोड़ा जाता है. हालांकि कुछ भी अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।
अच्छा यह तो हुए वो सब जिनको लोगों ने ढूँढकर Satoshi बनाने की कोशिश की, लेकिन आपको जानकार आश्चर्य होगा की एक भाई तो ऐसे भी है जिन्होंने खुद ही सामने आकर यह घोषणा की कि वो ही Satoshi Nakamoto है, पर मजे की बात है कोई माना ही नहीं। ये थे आस्ट्रेलियन डेवलपर Craig Wright, जिन्होंने 2015 में कुछ सबूत सामने रखकर खुद के सातोशी होने की घोषणा की हालांकि वे कुछ भी प्रूव नहीं कर पाए।
आधी हकीकत आधा फ़साना, पर हर कोई है अब Satoshi का दीवाना
इसी नारे के साथ में अब अपनी वाणी को विराम देता हूँ। Bitcoin चाहे जिसने बनाया हो लेकिन उसकी पहचान का रहस्य रहना भी इसके पीछे की असली ताकत है, हिंदी में तो कहावत भी है, "बंद मुट्ठी लाख की, खुली तो खाक की"।