अधिकांश ट्रेडिशनल इन्वेस्टर्स के लिए सही समय पर सही क्रिप्टोकरेंसी खरीदना, उन्हें प्राइस बढ़ने तक होल्ड करना और सही समय आने पर उन्हें बेचना ही क्रिप्टो मार्केट में प्रॉफिट कमाने का सोर्स है। लेकिन Web3, DApps और Smart Contracts के इंटीग्रेशन ने अब ट्रेडिशनल प्रॉफिट मेकिंग स्ट्रेटेजी के अलावा भी क्रिप्टो एसेट से अर्निंग के नए रास्ते खोल दिए हैं। यह संभव हुआ है क्रिप्टो और ब्लॉकचेन से जुड़े नए यूज़ केस Crypto Lending और Borrowing के कारण।
अब यूजर अपनी क्रिप्टोकरेंसी को बेचे बिना पैसिव इनकम भी कमा सकते हैं या ज़रूरत पड़ने पर उससे फंडउधार भी ले सकते हैं और इसके लिए उसे किसी बैंक जाने की जरुरत नहीं होती, यह एक ऐसे पावरफुल सिस्टम के रूप में उभर रहा है जो भविष्य में ट्रेडिशनल फाइनेंशियल सिस्टम की जगह लेने की केपेबिलिटी रखता है आइये जानते हैं Crypto Lending और Borrowing कैसे काम करती है, इसके लिए कौन-सी प्रोसेस अपनाई जाती है, यह ट्रेडिशनल फाइनेंसिंग से कैसे अलग है और इसका भविष्य क्या है, आसान भाषा में।
ट्रेडिशनल बैंकिंग सिस्टम में लोन लेने की प्रोसेस धीमी, डॉक्यूमेंटेशन पर निर्भर और क्रेडिट स्कोर पर आधारित होती है। कई बार अप्रूवल में दिन या हफ्ते लग जाते हैं और इसके बाद भी लोन मिलने की कोई गारंटी नहीं होती है। दूसरी ओर, Web3 आधारित Crypto Lending में कोई मिडलमैन नहीं होता, यह पूरी तरह से स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स द्वारा ऑपरेट होती है, जिसके कारण ऑटोमेटिकली कोलैटरल को लॉक करके लोन प्रोसेस पूरा किया जाता है। मतलब यह प्रोसेस ट्रेडिशनल बैंकिंग लोन सिस्टम के मुकाबले बहुत आसान है।
इस तरह से हम समझ सकते हैं की Crypto Lending, ट्रेडिशनल लेंडिंग के मुकाबले तेज़, परमिशन फ्री और टेक्निकल रूप से ज़्यादा एक्सेसिबल ऑप्शन बन गया है, हालांकि इसमें फिलहाल कुछ रिस्क फैक्टर भी है जिसके बारे में हम इस ब्लॉग में आगे जानेंगे।
Crypto Lending एक ऐसी प्रोसेस है जिसमें क्रिप्टो होल्डर अपनी क्रिप्टोकरेंसी किसी प्लेटफॉर्म पर डिपाजिट करते हैं और बदले में इंटरेस्ट कमाते हैं। क्रिप्टो लेंडिंग प्लेटफार्म Aave, Compound, Nexo आदि इसमें इंटरमीडियरी का रोल निभाते हैं और पूरा सिस्टम स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स के ज़रिए एक्सिक्यूट होता है।
प्रश्न उठता है की Crypto Lending की प्रोसेस कैसे काम करती है? इसमें क्रिप्टो होल्डर सबसे पहले किसी क्रिप्टो लेंडिंग प्लेटफॉर्म पर डिपाजिट करते हैं, जो उस फंड को Verified Borrower को उधार देता है। इस फंड को लेने के लिए बोर्रोअर को कुछ कोलैटरल देना पड़ता है, जिससे डिफ़ॉल्ट की स्थिति में लेंडर के एसेट सुरक्षित रहे। इसमें लोन की अवधि और इंटरेस्ट रेट पहले से तय होती है और रीपेमेंट पूरा होते ही लेंडर को इंटरेस्ट और प्रिंसिपल साथ में मिल जाता है।
Crypto Borrowing उन यूज़र्स के लिए अवेलेबल होती है जो अपनी होल्डिंग्स को बेचे बिना लिक्विडिटी रखना चाहते हैं। इस मॉडल में कोई भी क्रिप्टो होल्डर अपनी क्रिप्टो को कोलैटरल के रूप में लॉक करके और Stablecoin या फ़िएट करेंसी में लोन प्राप्त करते हैं।
Borrowing के लिए इम्पोर्टेन्ट स्टेप्स:
Crypto Borrowing का सबसे मुख्य लाभ यह है कि इससे यूजर बिना डिजिटल एसेट बेचे फ़िएट करेंसी प्राप्त कर पाते हैं और होल्डिंग के साथ-साथ इमरजेंसी फंड की जरुरत भी पूरी हो जाती है।
Crypto Lending के सिस्टम का आधार कोलैटरल है। इसमें Borrower को लोन अमाउंट से ज्यादा वैल्यू की क्रिप्टो गिरवी रखनी पड़ती है, जिसे Over-Collateralization कहते हैं।
इसलिए Borrowers को अपने LTV रेश्यो पर लगातार नज़र रखनी जरुरी होती है।
Crypto Lending में इंटरेस्ट रेट स्टेटिक नहीं होती है बल्कि यह कई डायनामिक फैक्टर्स पर निर्भर करती है:
DeFi प्लेटफॉर्म जैसे Aave में इंटरेस्ट रेट अल्गोरिद्म के द्वारा ऑटो एडजस्ट होती है, जबकि सेंट्रलाइज़्ड प्लेटफॉर्म जैसे Nexo में इसे मैन्युअली सेट किया जा सकता है। यह पूरी प्रक्रिया ऑटोमेटिक होती है, आइये जानते हैं वो कौनसी टेक्नोलॉजी होती है जो इस ऑटोमेशन को संभव बनाती है।
Crypto Lending को ट्रस्टलेस सिस्टम बनाने में Smart Contracts की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। Smart Contract ही Borrower से क्रिप्टो कोलैटरल एक्सेप्ट करते हैं, इंटरेस्ट टर्म्स के अनुसार ट्रांज़ैक्शन को ऑटोमेटिकली एक्सिक्यूट करते हैं, रीपेमेंट के बाद कोलैटरल को अनलॉक करते हैं और डिफ़ॉल्ट की स्थिति में कोलैटरल को लिक्विडेट कर देते हैं।
इस तरह से Smart Contracts पूरी प्रोसेस में से मिडलमैन की ज़रूरत को समाप्त कर देते हैं और पूरी प्रोसेस ऑटोमेटिक हो जाती है। हालांकि यह प्रोसेस केवल DeFi प्लेटफार्म में होती है, जबकि वर्तमान में कुछ Centralised Crypto Lending Platform (CeFi) भी अवेलेबल है, आइये जानते हैं कि DeFi और CeFi में क्या अंतर होता है?
Crypto Lending दो मॉडलों में होता है:
CeFi यूजर फ्रेंडली होते हैं और इस पर कस्टमर सपोर्ट आसानी से उपलब्ध होता है इसलिए नए यूजर के लिए यह ज्यादा अच्छा ऑप्शन है जबकि DeFi प्राइवेसी, कण्ट्रोल और परमिशनलेस एक्सेस की सुविधा देता है, लेकिन इसकी कॉम्प्लेक्स प्रोसेस के कारण यह नए यूज़र्स के लिए मुश्किल होती है।
| Lending | Staking | Yield Farming | |
| उद्देश्य | इंटरेस्ट कमाना | नेटवर्क सिक्योरिटी | लिक्विडिटी से रिवॉर्ड |
| रिस्क | बोर्रोवर डिफ़ॉल्ट | Network Slashing | Impermanent Loss |
| ड्यूरेशन | Flexible | Fix Time Lock | Variable |
| टेक्निकल कोम्प्लेक्सिटी | Moderate | Low | High |
यह तीनों मॉडल क्रिप्टो होल्डिंग से पैसिव इनकम प्राप्त करने के साधन के रूप में है , जिन्हें आप अपने जरुरत और होल्डिंग के अनुसार यूज़ कर सकते हैं। हालांकि इन तीनो मॉडल से कुछ रिस्क भी जुड़े है, हम Staking और Yield Farming से जुड़े रिस्क की चर्चा इनसे जुड़े ब्लॉग में कर चुके हैं, जिन्हें आप हमारी वेबसाइट के Crypto Blog Hindi सेक्शन में जाकर पढ़ सकते हैं। आइये Crypto Lending और Borrowing से जुड़े रिस्क के बारे में जानते हैं।
Web3 जितना ओपन और एक्सेसीबल है, उतना ही रिस्क से भी भरा हुआ भी है। Crypto Lending से जुड़े रिस्क में शामिल हैं:
इस इकोसिस्टम का उपयोग अलग-अलग प्रकार के यूज़र्स अपनी जरुरत के अनुसार करते हैं:
Crypto Lending और Borrowing अब केवल टेक्नोलॉजी समझने वाले यूज़र्स तक सीमित नहीं है बल्कि यह तेजी से मैनस्ट्रीम एडॉप्शन की ओर बढ़ रही है।
Crypto Lending और Borrowing ने ट्रेडिशनल फाइनेंसिंग की लिमिटेशन को चुनौती दी है। यह न सिर्फ फ़ास्ट है और ग्लोबल एक्सेस की सुविधा देता है, बल्कि इसके कारण यूज़र्स को अपने डिजिटल एसेट पर पूरा कण्ट्रोल भी मिलता है। फिलहाल दोनों सिस्टम साथ-साथ काम कर रहे हैं लेकिन जिस तरह से क्रिप्टो, Web3 और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का एडॉप्शन बढ़ रहा है, यह जल्द ही मैनस्ट्रीम में आकर ट्रेडिशनल बैंकिंग सिस्टम को चुनौती भी देने की क्षमता रखते हैं।
हालाँकि, यह ज़रूरी है कि यूज़र्स को सही रिसर्च, प्लेटफार्म सिलेक्शन और रिस्क मैनेजमेंट के साथ ही इस क्षेत्र में कदम रखना चची। अगर समझदारी से किया जाए, तो Crypto Lending और Borrowing आपकी पैसिव इनकम या इमरजेंसी फंडका नया सोर्स बन सकता है वो HODL स्ट्रेटेजी के साथ ट्रेडिंग बनाये रखते हुए।
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